Saturday, May 21, 2011
Friday, May 20, 2011
BEN Conference ib the Business Line-Bihar Society to meet at Bodh Gaya
Bihar Society, the US-registered NGO focused on Bihar's economic, social and cultural revival, is holding Bencon 2011 (Bihar Entrepreneurs Network Conference 2011) at Bodh Gaya on May 21 and 22 to highlight the potential of the State as the destination for investments, according to a press release.
Bihar Entrepreneurs Network (BEN), which has been founded with the help of a group of successful entrepreneurs, corporate executives and senior professionals with stakes in Bihar, aims to “create an eco-system and a vibrant platform for entrepreneurs with active participation of global Biharis.” Bencon 2011 will have panel discussions on real estate, education, energy, healthcare, tourism and e-governance. There will be workshops on business plan basics and a business plan competition for students.
Prominent speakers will include, among others, Mr Nitish Mishra: Minister, Rural Development Department, Government of Bihar, Mr Vijoy Prakash ,Principal Secretary, Planning & Development, Mr S M Raju , Commissioner, Tirhut, Mr Madhukar Shukla, Professor, XLRI, Mr U S Pandey , an expert in the field of renewable energy.
Bihar Entrepreneurs Network (BEN), which has been founded with the help of a group of successful entrepreneurs, corporate executives and senior professionals with stakes in Bihar, aims to “create an eco-system and a vibrant platform for entrepreneurs with active participation of global Biharis.” Bencon 2011 will have panel discussions on real estate, education, energy, healthcare, tourism and e-governance. There will be workshops on business plan basics and a business plan competition for students.
Prominent speakers will include, among others, Mr Nitish Mishra: Minister, Rural Development Department, Government of Bihar, Mr Vijoy Prakash ,Principal Secretary, Planning & Development, Mr S M Raju , Commissioner, Tirhut, Mr Madhukar Shukla, Professor, XLRI, Mr U S Pandey , an expert in the field of renewable energy.
Thursday, May 19, 2011
Bihar Entrepreneur Summit 2011 in Prabhat Khabar बिहार को दुनिया से जोड़ने की मुहिम
अतुल रहते तो अमेरिका की जर्सी सिटी में हैं, लेकिन दिल बिहार में बसता है. वह दुनिया को बिहार से और बिहार को दुनिया से जोड़ने की मुहिम में जुटे हैं. बिहार के युवा उद्यमियों की पहल बिहार इंटरप्रेन्योर नेटवर्क (बेन) के कॉन्फ्रेंस में भाग लेने वह इन दिनों बिहार में जमे हैं. यह कॉन्फ्रेंस बोधगया में 21 व 22 मई को होनेवाली है. अपने प्रदेश के बारे में अतुल की समझ स्पष्ट है - बिहार को दया नहीं चाहिए. यहां आत्मविश्वास जगाने की जरूरत है.
- बिहार सोसाइटी का गठन -
आइआइएम, अहमदाबाद से प्रबंधन की पढ़ाई करनेवाले सारण जिले के निवासी अतुल पिछलेपांच वर्षो से अमेरिका में हैं. उन्होंने अपने मित्रों (संतोष पांडेय वगैरह) के साथ मिल कर बिहार सोसाइटी का गठन किया है. सोसाइटी ने हाल में वेब पत्रिका द बिहार शुरू की है. इसके जरिये बिहार के गौरवशाली अतीत, संस्कृति, बिहार में आये बदलाव और उद्यमियों की सफ़लता की कहानी को दुनिया के सामने लाने की योजना है. यह संस्था पटना में मैराथन दौड़ करायेगी.
अतुल अमेरिका में रहनेवाले बिहारियों की मदद से बिहार के युवा उद्यमियों को हर तरह की सहायता पहुंचाने की योजना पर भी काम कर रहे हैं. अभी हाल में लोकपाल विधेयक के लिए अन्ना हजारे ने दिल्ली में अनशन शुरू किया, तो इसकी आवाज अमेरिका में गूंजी. इसके लिए अतुल ने बिहारियों को जुटा कर न्यूयॉर्क में सभा की.
अतुल का कहना है कि नालंदा विश्वविद्यालय के नष्ट होने के साथ ही बिहार की पतन शुरुआत हुई थी. लेकिन, अब लगता है कि इसका स्वर्णिम काल फ़िर से शुरू हो रहा है. इसमें सिविल सोसाइटी की अहम भूमिका होगी. कई नये क्षेत्र उभर रहे हैं, जिनमें यहां के उद्यमी काम कर सकते हैं.
अतुल ने खुद एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी से इस्तीफ़ा देकर नन प्रॉफ़िट सेक्टर में काम शुरू किया है. उन्होंने एनएफ़पी फ़ोकस (कंपनी) ज्वाइन किया है. यह कंपनी अस्पतालों, विश्वविद्यालयों जैसे नन प्रॉफ़िट सेक्टर में बतौर सलाहकार यह बतायेगी कि खर्च को कहां-कहां और कैसे नियंत्रित किया जा सकता है.
- बिहार के गौरवशाली अतीत को सामने लाने की योजना
21व 22 मई को बोधगया में कॉन्फ्रेंस
Prabhat Khabar's coverage on BEN-बंजर जमीन में बायो डीजल की खेती
दुनिया में जहां कहीं भी ओर्थक समृद्धि आयी है, उसकी जमीन स्थानीय उद्यमियों ने तैयार की. बिहार में माहौल बदला, तो कई युवाओं ने मोटी तनख्वाह का ऑफर ठुकरा कर उद्यमिता की राह पकड़ी है. ऐसे युवा उद्यमी बोधगया में बिहार इंटरप्रेन्योर नेटवर्क के बेन-2011 कॉन्फ्रेंस में 21 व 22 मई को जुटेंगे. बिहार में सामाजिक उद्यमिता के प्रति उभरी आकांक्षा को केंद्रित कर आज से विशेष श्रंखला शुरू की जा रही है.
पटना : सरसरी तौर पर आपको यह सचमुच विसंगतियों से भरा मामला दिखेगा. 20 साल की उम्र में कंपनी का गठन एक्सएलआरआइ से एमबीए के बाद गांव व खेती में जुटना. निश्चित भविष्य की गारंटी वाली नौकरी का ऑफर ठुकरा कर बिहार में बदलाव लाने की पथरीली डगर का चयन. जिस बंजर जमीन पर खेती भी मुश्किल हो, वहां डीजल पैदा करने की जिद. डीजल भी उस पेड़ से निकालने की योजना, जिसे बिहार में फालतू पेड़ माना जाता है.
जी हां, करंज से.गया के युवा उद्यमी कुमार अंकित ने अपने लिए राह चुन ली है. वह बिहार की एक लाख एकड़ बंजर जमीन पर करंज के पौधे उगा कर इससे बायो डीजल, ग्लिसरीन, बिजली और बायो कीटनाशक पैदा करने की परियोजना पर काम कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने अपने दो युवा सहयोगियों मनीष दयाल और कुमार राहुल के साथ मिल कर ग्रीन लीफ एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी बनायी है.
बकौल अंकित, उनकी योजना करंज के बीज से 10 करोड़ लीटर बायो डीजल और 20 मेगावाट बिजली उत्पादन की है. इससे हजारों किसानों को अगले 50 वर्षो तक आमदनी का जरिया उपलब्ध हो जायेगा.सामाजिक उद्यमिताअंकित ने गया के डीएवी से स्कूली पढ़ाई की. फिर जबलपुर से इंजीनियरिंग.
बाद में उन्होंने एक्सएलआरआइ, जमशेदपुर में एमबीए में दाखिला लिया. इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान दूसरे राज्यों के दोस्त उन्हें बिहारी कह कर चिढ़ाते थे. तभी उन्होंने तय किया था कि वह बिहार की छवि को न केवल बदलने में जुटेंगे, बल्कि उदाहरण भी पेश करेंगे. एक्सएलआरआइ में पढ़ाई के दौरान अपने शिक्षक मधुकर शुक्ला और प्रबल सेन से उन्होंने सामाजिक उद्यमिता का अर्थ जाना. इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु के उदीपी श्रीनिवास के करंज के पौधे से बायो डीजल उत्पादन पर शोध के बारे में जानकारी मिली. फिर तो अंकित ने अपनी राह चुन ली.नर्सरी में सवा लाख पौधे सितंबर, 2009 में अंकित ने डोभी के कोठवारा गांव में करंज के सवा लाख पौधों की नर्सरी लगायी.
तत्कालीन औद्योगिक विकास आयुक्त ए विजय राघवन और ग्रामीण विकास सचिव विजय प्रकाश से मिल कर पूरी परियोजना की जानकारी दी. अंकित ने मनरेगा के तहत बंजर जमीन पर करंज के पौधे लगाने का प्रस्ताव सरकार को दिया, जो न केवल स्वीकृत हुआ, बल्कि 23 जून, 2010 को सरकार ने इसकी नीति भी बना दी. अंकित की योजना गया, नवादा, औरंगाबाद, जमुई, बांका और कैमूर जिले की एक लाख एकड़ बंजर जमीन पर करंज का पौधा लगाने की है. इसके लिए सरकार प्रति एकड़ 26704 रुपये अनुदान देगी. इससे किसानों को पौधों की देखभाल के लिए13 हजार 200 रुपये प्रति एकड़ मिलेंगे.
अंकित ने गया जिले के शेरघाटी, डोभी, बाराचट्टी जैसे पिछड़े इलाकों में करंज के 13 लाख पौधों की नर्सरी लगायी है. फिलहाल उन्होंने 500 एकड़ में करंज के पौधे लगाये हैं. ग्रीन लीफ एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड का जल्द ही एचपीसीएल और आइओसी से करार होने वाला है, जो करंज के बीज से निकला तेल खरीदेगी.
अंकित की योजना बिहार के अपने प्रयोग को उत्तराखंड में आइएफडीसी के साथ मिल कर जमीन पर उतारने की भी है.
करंज से फायदे अनेक
-बंजर जमीन भी होगा हरा भरा
-यह हवा से नाइट्रोजन लेता है
-जमीन की उर्वरता बरकरार
-एक एकड़ में 200 पेड़
- पेड़ों के साथ खेती की भी गुंजाइशऐसे बनेगा बायो डीजल
- नर्सरी में चार-पांच माह में पौधा तैयार
- चौथे वर्ष में 4-5 किलो फल आने लगेंगे
- आठवें वर्ष में प्रति पेड़ 25 किलो फल
- फल की खरीदारी कंपनी तय रेट पर करेगी
- एक पेड़ 50 वर्ष तक फल देगा
- तीन किलो बीज से एक लीटर तेल
- तेल से बायो डीजल, ग्लिसरीन व कीटनाशक बनेगाकई राज्यों में सफल है प्रयोग
- कर्नाटक में सरकारी बसों में बायो डीजल का उपयोग
- छतीसगढ़ व आंध्र प्रदेश में प्लांट स्थापित
- 35 रुपये प्रति लीटर बिकता है बायो डीजल.
पटना : सरसरी तौर पर आपको यह सचमुच विसंगतियों से भरा मामला दिखेगा. 20 साल की उम्र में कंपनी का गठन एक्सएलआरआइ से एमबीए के बाद गांव व खेती में जुटना. निश्चित भविष्य की गारंटी वाली नौकरी का ऑफर ठुकरा कर बिहार में बदलाव लाने की पथरीली डगर का चयन. जिस बंजर जमीन पर खेती भी मुश्किल हो, वहां डीजल पैदा करने की जिद. डीजल भी उस पेड़ से निकालने की योजना, जिसे बिहार में फालतू पेड़ माना जाता है.
जी हां, करंज से.गया के युवा उद्यमी कुमार अंकित ने अपने लिए राह चुन ली है. वह बिहार की एक लाख एकड़ बंजर जमीन पर करंज के पौधे उगा कर इससे बायो डीजल, ग्लिसरीन, बिजली और बायो कीटनाशक पैदा करने की परियोजना पर काम कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने अपने दो युवा सहयोगियों मनीष दयाल और कुमार राहुल के साथ मिल कर ग्रीन लीफ एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी बनायी है.
बकौल अंकित, उनकी योजना करंज के बीज से 10 करोड़ लीटर बायो डीजल और 20 मेगावाट बिजली उत्पादन की है. इससे हजारों किसानों को अगले 50 वर्षो तक आमदनी का जरिया उपलब्ध हो जायेगा.सामाजिक उद्यमिताअंकित ने गया के डीएवी से स्कूली पढ़ाई की. फिर जबलपुर से इंजीनियरिंग.
बाद में उन्होंने एक्सएलआरआइ, जमशेदपुर में एमबीए में दाखिला लिया. इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान दूसरे राज्यों के दोस्त उन्हें बिहारी कह कर चिढ़ाते थे. तभी उन्होंने तय किया था कि वह बिहार की छवि को न केवल बदलने में जुटेंगे, बल्कि उदाहरण भी पेश करेंगे. एक्सएलआरआइ में पढ़ाई के दौरान अपने शिक्षक मधुकर शुक्ला और प्रबल सेन से उन्होंने सामाजिक उद्यमिता का अर्थ जाना. इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु के उदीपी श्रीनिवास के करंज के पौधे से बायो डीजल उत्पादन पर शोध के बारे में जानकारी मिली. फिर तो अंकित ने अपनी राह चुन ली.नर्सरी में सवा लाख पौधे सितंबर, 2009 में अंकित ने डोभी के कोठवारा गांव में करंज के सवा लाख पौधों की नर्सरी लगायी.
तत्कालीन औद्योगिक विकास आयुक्त ए विजय राघवन और ग्रामीण विकास सचिव विजय प्रकाश से मिल कर पूरी परियोजना की जानकारी दी. अंकित ने मनरेगा के तहत बंजर जमीन पर करंज के पौधे लगाने का प्रस्ताव सरकार को दिया, जो न केवल स्वीकृत हुआ, बल्कि 23 जून, 2010 को सरकार ने इसकी नीति भी बना दी. अंकित की योजना गया, नवादा, औरंगाबाद, जमुई, बांका और कैमूर जिले की एक लाख एकड़ बंजर जमीन पर करंज का पौधा लगाने की है. इसके लिए सरकार प्रति एकड़ 26704 रुपये अनुदान देगी. इससे किसानों को पौधों की देखभाल के लिए13 हजार 200 रुपये प्रति एकड़ मिलेंगे.
अंकित ने गया जिले के शेरघाटी, डोभी, बाराचट्टी जैसे पिछड़े इलाकों में करंज के 13 लाख पौधों की नर्सरी लगायी है. फिलहाल उन्होंने 500 एकड़ में करंज के पौधे लगाये हैं. ग्रीन लीफ एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड का जल्द ही एचपीसीएल और आइओसी से करार होने वाला है, जो करंज के बीज से निकला तेल खरीदेगी.
अंकित की योजना बिहार के अपने प्रयोग को उत्तराखंड में आइएफडीसी के साथ मिल कर जमीन पर उतारने की भी है.
करंज से फायदे अनेक
-बंजर जमीन भी होगा हरा भरा
-यह हवा से नाइट्रोजन लेता है
-जमीन की उर्वरता बरकरार
-एक एकड़ में 200 पेड़
- पेड़ों के साथ खेती की भी गुंजाइशऐसे बनेगा बायो डीजल
- नर्सरी में चार-पांच माह में पौधा तैयार
- चौथे वर्ष में 4-5 किलो फल आने लगेंगे
- आठवें वर्ष में प्रति पेड़ 25 किलो फल
- फल की खरीदारी कंपनी तय रेट पर करेगी
- एक पेड़ 50 वर्ष तक फल देगा
- तीन किलो बीज से एक लीटर तेल
- तेल से बायो डीजल, ग्लिसरीन व कीटनाशक बनेगाकई राज्यों में सफल है प्रयोग
- कर्नाटक में सरकारी बसों में बायो डीजल का उपयोग
- छतीसगढ़ व आंध्र प्रदेश में प्लांट स्थापित
- 35 रुपये प्रति लीटर बिकता है बायो डीजल.
Prof. Piyush Sinha on BEN in Prabhat Khabar -लो कॉस्ट नहीं, गुड वैल्यू पर सोचिए
बिहार में आये बदलाव के बाद दूसरे राज्यों की तरह यहां भी उद्यमिता के प्रति रुझान बढ़ा है. अच्छे संस्थानों से पढ़े-लिखे युवकों में यह प्रवृत्ति विकसित हुई है कि वे खुद के लिए क्यों नहीं मेहनत करें. कहीं और जाकर नौकरी के बजाय अपने लिए काम क्यों नहीं करें. यदि आपके पास बेहतर आइडिया हो, तो लोग मदद को तैयार हैं. बिहार इंटरप्रेन्योर नेटवर्क (बेन) के बैनर तले युवा उद्यमियों के जुटान को मैं इसी कड़ी में देखता हूं.
सोशल नेटवर्क का सपोर्ट जरूरी
जो लोग सामाजिक उद्यमिता के क्षेत्र में आ रहे हैं, वे एक भावना के साथ आ रहे हैं. यहीं पर एक खास ध्यान देने वाली बात है. उद्यमिता की शुरुआत भावना से हो और संघर्ष की क्षमता नहीं हो, तो फ़िर वह हवा हो जायेगा. बिहार में इको सिस्टम बनाने की जरूरत है. इससे मेरा मतलब वातावरण के निर्माण, आधारभूत संरचना के स्तर पर सहयोग और सरकारी मशीनरी में त्वरित फ़ैसला से है. दीपक तभी तक उजाला देगा, जब तक कि उसमें तेल हो. इसके बाद कुछ देर तक दीपक जलेगा जरूर, लेकिन तब उसकी बाती जलेगी. दूसरे राज्यों में आज जो विकास देख रहे हैं, वह एकाएक नहीं आया है. 10-15 वर्ष पहले इसकी शुरुआत हो चुकी थी. बिहार में अब जाकर यात्रा शुरू हुई है, इसलिए सबसे पहले तो सोशल नेटवर्क का सपोर्ट जरूरी है. केवल सरकार के स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी उद्यमियों को सहयोग और पॉजिटिव रेस्पांस मिलना चाहिए. यदि किसी प्रोजेक्ट की स्वीकृति में देर होगी, तो जाहिर है कि उसकी लागत बढ़ जायेगी. उत्पादन लागत बढ़ेगी, तो बाजार में परेशानी खड़ी होगी. फ़िर बाजार की प्रतिस्पर्धा में टिके रहना मुश्किल होगा.
लघु उद्योग को मिले बढ़ावा
बिहार के संदर्भ में एक और जरूरी चीज है - घिसे-पिटे पुराने ढर्रे के सोच को बदलना होगा. नये एप्रोच व नये आइडिया के साथ आगे बढ़ना होगा. फ्रांस, जर्मनी जैसे कई देशों ने लघु उद्योगों की बदौलत आर्थिक तरक्की की है. कोई जरूरी नहीं कि आप बड़ा बिजनेस या इंडस्ट्री शुरू करें. छोटे स्तर पर प्रयास किया जा सकता है. मेरी राय है कि बिहार में कम लागत (लो कॉस्ट) के बजाय बेहतर गुणवत्ता (गुड वैल्यू) पर ध्यान देने की जरूरत है. यहां उपजाऊ जमीन बहुत है. बेहतर मानव संसाधन है. इसका इस्तेमाल करना चाहिए. कृषि में कुछ करना है, तो क्यों नहीं इसी में ऊंची गुणवत्ता पर सोचें. गन्ना में उत्पादकता कम है, तो सिर्फ़ शुगर इंडस्ट्री तक क्यों, इसके बाइ प्रोडक्ट पर सोचें. मेरे कहने का मतलब है कि बिहार को नयी सोच की जरूरत है.
बेन एक बेहतर प्रयास
बिहार में सरकार ने कोशिश शुरू की है. यदि आप लंबी सोच लेकर चले हैं, तो इंटरमीडियट रिजल्ट देना जरूरी होता है. परियोजनाओं को संपूर्ण रूप से जमीन पर उतरने में वक्त लगेगा. इस बीच कैपिसिटी बिल्डअप करते जाना होगा. यह सतत विकास के लिए जरूरी है. उपलब्धि हासिल होती रहे, तो लोगों में उम्मीद बनी रहती है. बिहार इंटरप्रेन्योर नेटवर्क (बेन) को मैं उद्यमिता के लिए बेहतर प्रयास मानता हूं. बेन जैसे पचासों और प्लेटफ़ॉर्म की जरूरत है, जो पढ़े-लिखे ही नहीं, साधारण उद्यमियों को भी राह दिखा सकें. अब वक्त आ गया है कि केवल सरकार ही नियोजक की भूमिका में न रहे, बल्कि उद्यमीगण दूसरे को नौकरी दे सकें.
- प्रो पीयूष कुमार सिन्हा -
(पटना निवासी पीयूष कुमार सिन्हा, आइआइएम, अहमदाबाद में मार्केटिंग के प्रोफ़ेसर और सेंटर फ़ॉर रिटेलिंग के चेयरपर्सन हैं. लंबे समय तक एक्सआइएम, भुवनेश्वर और आइआइएम, बेंगलुरु में भी पढ़ाया. यह आलेख रजनीश उपाध्याय से बातचीत पर आधारित है.)
सोशल नेटवर्क का सपोर्ट जरूरी
जो लोग सामाजिक उद्यमिता के क्षेत्र में आ रहे हैं, वे एक भावना के साथ आ रहे हैं. यहीं पर एक खास ध्यान देने वाली बात है. उद्यमिता की शुरुआत भावना से हो और संघर्ष की क्षमता नहीं हो, तो फ़िर वह हवा हो जायेगा. बिहार में इको सिस्टम बनाने की जरूरत है. इससे मेरा मतलब वातावरण के निर्माण, आधारभूत संरचना के स्तर पर सहयोग और सरकारी मशीनरी में त्वरित फ़ैसला से है. दीपक तभी तक उजाला देगा, जब तक कि उसमें तेल हो. इसके बाद कुछ देर तक दीपक जलेगा जरूर, लेकिन तब उसकी बाती जलेगी. दूसरे राज्यों में आज जो विकास देख रहे हैं, वह एकाएक नहीं आया है. 10-15 वर्ष पहले इसकी शुरुआत हो चुकी थी. बिहार में अब जाकर यात्रा शुरू हुई है, इसलिए सबसे पहले तो सोशल नेटवर्क का सपोर्ट जरूरी है. केवल सरकार के स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी उद्यमियों को सहयोग और पॉजिटिव रेस्पांस मिलना चाहिए. यदि किसी प्रोजेक्ट की स्वीकृति में देर होगी, तो जाहिर है कि उसकी लागत बढ़ जायेगी. उत्पादन लागत बढ़ेगी, तो बाजार में परेशानी खड़ी होगी. फ़िर बाजार की प्रतिस्पर्धा में टिके रहना मुश्किल होगा.
लघु उद्योग को मिले बढ़ावा
बिहार के संदर्भ में एक और जरूरी चीज है - घिसे-पिटे पुराने ढर्रे के सोच को बदलना होगा. नये एप्रोच व नये आइडिया के साथ आगे बढ़ना होगा. फ्रांस, जर्मनी जैसे कई देशों ने लघु उद्योगों की बदौलत आर्थिक तरक्की की है. कोई जरूरी नहीं कि आप बड़ा बिजनेस या इंडस्ट्री शुरू करें. छोटे स्तर पर प्रयास किया जा सकता है. मेरी राय है कि बिहार में कम लागत (लो कॉस्ट) के बजाय बेहतर गुणवत्ता (गुड वैल्यू) पर ध्यान देने की जरूरत है. यहां उपजाऊ जमीन बहुत है. बेहतर मानव संसाधन है. इसका इस्तेमाल करना चाहिए. कृषि में कुछ करना है, तो क्यों नहीं इसी में ऊंची गुणवत्ता पर सोचें. गन्ना में उत्पादकता कम है, तो सिर्फ़ शुगर इंडस्ट्री तक क्यों, इसके बाइ प्रोडक्ट पर सोचें. मेरे कहने का मतलब है कि बिहार को नयी सोच की जरूरत है.
बेन एक बेहतर प्रयास
बिहार में सरकार ने कोशिश शुरू की है. यदि आप लंबी सोच लेकर चले हैं, तो इंटरमीडियट रिजल्ट देना जरूरी होता है. परियोजनाओं को संपूर्ण रूप से जमीन पर उतरने में वक्त लगेगा. इस बीच कैपिसिटी बिल्डअप करते जाना होगा. यह सतत विकास के लिए जरूरी है. उपलब्धि हासिल होती रहे, तो लोगों में उम्मीद बनी रहती है. बिहार इंटरप्रेन्योर नेटवर्क (बेन) को मैं उद्यमिता के लिए बेहतर प्रयास मानता हूं. बेन जैसे पचासों और प्लेटफ़ॉर्म की जरूरत है, जो पढ़े-लिखे ही नहीं, साधारण उद्यमियों को भी राह दिखा सकें. अब वक्त आ गया है कि केवल सरकार ही नियोजक की भूमिका में न रहे, बल्कि उद्यमीगण दूसरे को नौकरी दे सकें.
- प्रो पीयूष कुमार सिन्हा -
(पटना निवासी पीयूष कुमार सिन्हा, आइआइएम, अहमदाबाद में मार्केटिंग के प्रोफ़ेसर और सेंटर फ़ॉर रिटेलिंग के चेयरपर्सन हैं. लंबे समय तक एक्सआइएम, भुवनेश्वर और आइआइएम, बेंगलुरु में भी पढ़ाया. यह आलेख रजनीश उपाध्याय से बातचीत पर आधारित है.)
Monday, May 09, 2011
Thursday, May 05, 2011
Wednesday, May 04, 2011
Madhu the first Bihari Twitter Bird-inspired by the world famous Madhubani Art from Bihar
On the occasion of Bihar Entrepreneur Network's Networking and entrepreneurship conference We are launching worlds first Bihari Twitter Bird "MADHU". Madhu has been conceptualized by Manish Sinha and designed by by Yogi Kumar
Manish is Chief Strategy Officer - Digitas India, an Entrepreneur and founder of Once Upon A Time - A Story-telling & Brand 2.0 Consultancy. He is also founder of Cinnamon Stays a Hospitality company.
Manish is Chief Strategy Officer - Digitas India, an Entrepreneur and founder of Once Upon A Time - A Story-telling & Brand 2.0 Consultancy. He is also founder of Cinnamon Stays a Hospitality company.
Tuesday, May 03, 2011
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